Vatican City : यीशु ने जिसे चुना, उसे दी गई थी वेटिकन में फांसी


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Vatican City क्यों बना ईसाई धर्म का केंद्र, जबकि ईसा मसीह का जन्म तो कहीं और हुआ था? पोप फ्रांसिस क्यों रहते थे वेटिकन में और नए पोप भी क्यों यहीं चुने जाएंगे?

एक पल के लिए सोचिए - ईसा मसीह जन्मे थे बेथलेहम में, पले-बढ़े नासरत में, और सूली पर चढ़ाए गए येरुशलम में। फिर भी, आज ईसाई धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है वेटिकन सिटी (Vatican City) - रोम का एक छोटा-सा कोना, जो खुद एक संप्रभु देश है।

तो सवाल उठता है कि पोप वेटिकन (Vatican City) में क्यों बैठते हैं? वेटिकन सिटी और ईसाई धर्म का रिश्ता कब और कैसे बना?

इसका जवाब इतिहास, धर्म, राजनीति और प्रतीकों की एक दिलचस्प कहानी में छुपा है। चलिए, इस रहस्य की परतें खोलते हैं।

शुरुआत येरुशलम से, लेकिन सत्ता रोम पहुंची

ईसा मसीह (Jesus Christ) के अनुयायी शुरू में येरुशलम और आसपास के यहूदी क्षेत्रों में फैले थे। लेकिन जैसे ही रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म का प्रचार शुरू हुआ, इसकी धारा पश्चिम की ओर मुड़ गई।

पहली और दूसरी सदी में, रोम ईसाई मिशन का बड़ा केंद्र बन गया। इसकी वजह यह रही कि रोम रोमन साम्राज्य की राजधानी था, और वहां जो फैला, वह पूरी दुनिया में फैल सकता था।

ईसा मसीह के प्रमुख शिष्य संत पीटर (Saint Peter) के बारे में माना जाता है कि वह रोम पहुंचे और वहीं उन्होंने प्रचार किया। यहीं पर उन्हें सूली दी गई।

कौन हैं Vatican City के संत पीटर?

गलील के झील किनारे बैठा एक सादा इंसान, जिसका असली नाम था साइमन (Simon)। उसके जीवन में तब तूफान आया जब एक दिन ईसा मसीह ने उसे पुकारा, 'आओ, मैं तुम्हें मनुष्यों का मछुआरा बनाऊं।'

और तभी से साइमन बन गया पेट्रस यानी 'चट्टान', और यहीं से शुरू हुई उनकी नई पहचान, पीटर।

ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में, पीटर सबसे करीबी माने जाते हैं। वह वही हैं, जिन्होंने एक बार ईसा को समुद्र पर चलते देखा, और खुद पानी पर चल पड़े। और वही हैं जिन्होंने ईसा के पकड़े जाने पर तीन बार कहा, 'मैं उन्हें नहीं जानता।'

उनका जीवन असमंजस, डर, लेकिन अंततः विश्वास और नेतृत्व का प्रतीक बन गया। ईसा ने उन्हें कहा था, 'तू है वह चट्टान जिस पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा।'

जब पीटर बने पहले पोप

ईसा के सूली पर चढ़ने और पुनरुत्थान के बाद पीटर ने येरुशलम से लेकर रोम तक धर्म प्रचार किया। कहा जाता है कि लगभग 64 ईस्वी के आसपास वह रोम पहुंचे। वहां उस समय सम्राट था नीरो (Nero)।

नीरो एक सनकी और क्रूर शासक था। जब रोम में भीषण आग लगी, तो इसका आरोप ईसाइयों पर लगाया गया। इसके बाद शुरू हुआ भयानक उत्पीड़न और इसकी चपेट में आए संत पीटर।

नीरो के सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार किया। कहा जाता है कि पीटर ने उनसे कहा, 'मैं अपने प्रभु की तरह मरने योग्य नहीं हूं। मुझे उल्टा सूली पर चढ़ाया जाए।' पीटर की शहादत ने वेटिकन सिटी (Vatican City) की जमीन को शहीद की मिट्टी बना दिया। उनकी कब्र वहीं बनी, वेटिकन हिल के उस पुराने कब्रिस्तान में, जहां आज सेंट पीटर बेसिलिका (St. Peter’s Basilica) है।

यह जगह पहले एक रोमन कब्रिस्तान हुआ करती थी और इसे वेटिकन हिल (Vatican Hill) कहा जाता था। चौथी सदी में सम्राट कॉन्स्टन्टाइन ने यहां पहली चर्च बनवाई। इसे पवित्र माना गया क्योंकि यहां एक 'शहीद' की समाधि थी। धीरे-धीरे यह स्थल ईसाई धर्म का प्रतीक बनता गया।

पोप की सत्ता और Vatican City की राजनीति

समय के साथ पोप, यानी संत पीटर के उत्तराधिकारी, रोम के धार्मिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक नेता भी बन गए। मध्यकाल में पोप के पास अपनी पूरी एक सेना, जमीन-जायदाद और कर संग्रह की व्यवस्था थी।

वेटिकन (Vatican City) तब सिर्फ एक चर्च नहीं था, एक राज्यसत्ता भी था। Papal States नाम से पोप के अधीन कई क्षेत्र थे, जो मध्य इटली में फैले थे।

लेकिन 19वीं सदी में जब इटली एकीकृत हुआ, तब पोप से जमीन छीन ली गई। पोप ने खुद को वेटिकन में बंदी (Prisoner of the Vatican) घोषित कर दिया और 60 साल तक रोम के बाहर कदम नहीं रखा!

1929 में Vatican City बना एक देश

फिर आया साल 1929, जब इटली के तानाशाह मुसोलिनी और पोप Pius XI ने एक समझौता किया। इसे कहते हैं Lateran Treaty।

इस समझौते में वेटिकन (Vatican City) को एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिया गया। सिर्फ 44 हेक्टेयर में फैला हुआ यह दुनिया का सबसे छोटा देश है। 

क्या ईसा की धरती अब दरकिनार है?

येरुशलम आज भी ईसाइयों के लिए सबसे पवित्र शहरों में से एक है। वहा है Church of the Holy Sepulchre, जिसे वो स्थान माना जाता है जहां ईसा को सूली दी गई और जहां उनका पुनरुत्थान हुआ। लेकिन समस्या यह है कि येरुशलम आज तीन धर्मों का केंद्र है - यहूदी, इस्लाम और ईसाई। वहां एक स्थायी धार्मिक सत्ता संभव नहीं।

इसलिए वेटिकन, जो शांति से पोप की सत्ता चला सके - एक तटस्थ और आध्यात्मिक राजधानी बना।

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